अंतिम अद्यतन : 19/09/2019
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गाँधी है सबके लिए कार्यशाला - प्रेम महाविद्यालय, केशी घाट, वृन्दावन - 12 सितम्बर, 2019

संग्रहालय विज्ञान विभाग द्वारा 12 सितम्बर, 2019 को गांधीजी की 150 वी जयंती के उपलक्ष्य में प्रेम महाविद्यालय, केशी घाट, वृन्दावन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में छठी कक्षा के कुल 30 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। गांधीजी की विचारधारा एवं उनके चिंतन को रचनात्मक कार्यशाला द्वारा देश के सुदूर स्थानों तक पहुँचाना इस कार्यक्रम का मुख्य ध्येय है। 

वृन्दावन स्थित प्रेम महाविद्यालय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अनुपम स्थान रखता है। यह विद्यालय हाथरस के राजा श्री महेन्द्र प्रताप द्वारा वर्ष 1909 में साउथ अफ्रीका में चल रहे गांधीजी के प्रेम एवं अहिंसा के सिद्धांत से प्रभावित होकर स्थापित किया गया था। राजा महेंद्र प्रताप स्वयं गांधीजी के स्वतंत्रता आंदोलन में सहभागी होने विदेश गए थे व अपने समय के प्रखर गाँधीवादी भी थे। विद्यालय की आधारशिला स्वयं महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी द्वारा रखी गई थी। वर्ष 1915 में गांधीजी जब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना पूर्ण योगदान देने हेतु भारत आये तब 14 अप्रैल,1915 को गांधीजी का प्रथम पदार्पण इस विद्यालय परिसर में हुआ। इसके उपरांत अल्प समय लिए वह कई इस विद्यालय में आते रहे। गांधीजी के समकालीन पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, सुभाष चंद्र बोस, पंडित मालवीय जी इत्यादि जैसे स्वतंत्रता सैनानी भी इस विद्यालय में आये। 

इतने बृहद एवं संपन्न इतिहास से युक्त प्रेम महाविद्यालय परिसर में 'गाँधी है सबके लिए' श्रृंखला की दसवीं कार्यशाला का आयोजन किया गया। गांधीजी ने सन 1915 में अपनी यात्रा के दौरान डायरी में वृन्दावन में दिखी गंदगी के बारे में लिखा था। अतः पर्यावरण स्वच्छता तथा जल प्रदूषण 
इस कार्यशाला के आधार स्तम्भ थे। साथ ही गांधीजी का प्रेम महाविद्यालय से जुड़ाव तथा प्रेम महाविद्यालय का ऐतिहासिक महत्त्व इस कार्यशाला की कार्यप्रणाली हेतु अत्यंत सहायक रहे। 

यह कार्यशाला संकायध्यक्षा एवं विभागाध्यक्षा प्रो (डॉ) मानवी सेठ द्वारा संकल्पित कार्यप्रणाली के अंतर्गत शोध सहायक सुशांत भारती, हुमा खान एवं आनंद हरि द्वारा आयोजित की गई। 

सर्वप्रथम कार्यशाला के प्रारम्भ में बच्चो को 'गाँधी है सबके लिए' कार्यशाला श्रृंखला का परिचय दिया गया व उन्हें इस कार्यशाला का उद्देश्य बताया गया। साथ ही बच्चो को प्रेम महाविद्यालय से जुड़ा इतिहास बताया गया।   की गांधीजी से यह स्थान कितनी जुडी हुई है व् उनके इलावा और कौन-कौन से स्वतंत्रता सैनानी विद्यालय में आये थे।

इसके बाद कार्यशाला का प्रारम्भ कथा वाचन सत्र द्वारा किया गया जिसमे गांधीजी के जीवन से जुडी तीन कथाओं का रचनात्मक शैली द्वारा बच्चो के समक्ष शोध सहायको द्वारा वाचन किया गया। गांधीजी के सत्य,अहिंसा, शांति एवं आत्म निर्भरता जैसे विचार इन कहानियों के माध्यम से बच्चो को बताए गए। साथ ही गांधीजी के पर्यावरण स्वच्छता को लेकर भी बच्चो को कहानियों के माध्यम से बताया गया। कथा वाचन सत्र में बच्चो की सहभागिता को बढ़ाने के लिए बीच बीच में उनसे गांधीजी के जीवन सम्बन्धी प्रश्न भी किये गए। 

इसके बाद बच्चो को एक लघु चित्र प्रदर्शनी दिखाई गई जिसमे गांधीजी की सम्पूर्ण जीवन यात्रा को चित्रों के द्वारा बच्चो को दिखाया गया। इसके अंतर्गत गाँधी जी के सम्पूर्ण जीवन वांग्मय को चित्र प्रदर्शनी द्वारा बच्चो को दिखाकर समझाया गया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रेम महाविद्यालय के योगदान तथा भारतीय जनमानस को प्रभावित करने में गांधीजी द्वारा किये गए विभिन्न आंदोलनों के प्रति बच्चो को जागरूक किया गया। 

चित्र प्रदर्शनी के पश्चात बच्चो को गांधीजी का पिटारा दिखाया गया। संग्रहालय विभाग द्वारा रचनात्मक रूप से तैयार किया गया यह पिटारा इस सम्पूर्ण कार्यशाला का मुख्य अंग है जिसमे गांधीजी के निजी जीवन से जुडी वस्तुओं के प्रतिरूप जैसे घड़ी, चप्पल, खड़ाऊ, चश्मा इत्यादि रखे हुए है। इन प्रतिरूपो के माध्यम से बच्चो को गांधीजी के निजी जीवन शैली के बारे में बताया गया तथा बच्चो को उन्हें अपने निजी जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। बाद में इन प्रतिरूपो को बच्चो को हाथ से छूने का भी अवसर दिया गया जिसमे बच्चो ने अत्यंत उत्साह के साथ बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। 

पूर्व में बच्चो को गांधीजी पर्यावरण प्रेम के अनुभव को आगे बढ़ाते हुए बच्चो के दो समूह बनाये गए जिसमे उनको 'स्वच्छ वृन्दावन' विषय पर चित्रकला करने हो कहा गया। इस रचनात्मक गतिविधि में बच्चो ने पूरे हर्ष के साथ अपनी प्रतिभागिता दी। बच्चो ने अपनी कल्पना से सुन्दर चित्रकारी करी।

इसके उपरांत जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी श्री कृष्णपाल सिंह, उप शिक्षा अधिकारी श्री रनवीर सिंह, श्री पुष्पांग गोस्वामी जी, आचार्य नरेश नारायण शर्मा जी तथा प्रेम महाविद्यालय के प्रधानाचार्य श्री देव प्रकाश शर्मा जी द्वारा बच्चो को प्रमाण पत्र एवं उपहार दिए गए तथा समूह चित्र के साथ कार्यशाला का समापन किया गया।

 
     
     
 
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